आखिर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रवासियों को लाने के लिए विशेष ट्रेन चलाने की मांग क्यों की? अब तक 6 लाख श्रमिकों ने रजिस्ट्रेशन करवाया। यह आंकड़ा 15 लाख तक जाएगा।


न्यूजडेस्क। 29 अप्रैल को केन्द्र सरकार ने श्रमिकों, पर्यटको, विद्यार्थियों आदि को लॉकडाउन में अपने अपने घरों तक पहुंचाने की छूट का ऐलान किया, तो राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने तत्काल मांग रख दी की केन्द्र को इसके लिए विशेष ट्रेने चलानी चाहिए, ताकि दूर वाले कामगारों को आसानी से लाया जा सके। सवाल उठता है कि यह मांग 29 अप्रैल को क्यों की, जबकि  राजस्थान सरकार ने तो अपने प्रदेशों के श्रमिकों को दूसरे राज्यों से लाना भी शुरू कर दिया था। गुजरात, मध्यप्रदेश आदि राज्यों से आए श्रमिक अपने अपने जिलों के क्वारंटीन सेंटरों में रह भी रहे हैं। रोडवेज और प्राइवेट बसों से ऐसे श्रमिकों को लगातार राजस्थान लाया जा रहा है। ऐसे में गहलोत को केन्द्र से विशेष ट्रेन चलाने की मांग क्यों करनी पड़ी। कोरोना वायरस के प्रकोप और लाकडाउन में मुख्यमंत्री के तौर पर अशोक गहलोत सराहनीय कार्य कर रहे हैं, इस बात की प्रशंसा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मुख्यमंत्रियों की वीडियो कॉन्फ्रेंस में भी की थी। देश में राजस्थान पहला प्रदेश रहा जिसने अपने बूते पर प्रवासी श्रमिकों को लाने का काम शुरू किया। तब भी गहलोत की पूरे देश में प्रशंसा हुई। असल में सरकार ने श्रमिकों को लाने की कार्यवाही शुरू तो कर दी, लेकिन जब परिणाम सामने आने लगे तो मुख्यमंत्री को केन्द्र सरकार की मदद की जरुरत हो गई। गहलोत की मांग पर विशेष ट्रेन चलाई जाती है या नहीं यह तो आने वाला समय ही बताएगा, लेकिन अभी राजस्थान सरकार को श्रमिकों के मुद्दे पर अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। प्राप्त जानकारी के अनुसार दूसरे राज्यों में रह रहे करीब 6 लाख श्रमिकों ने रजिस्ट्रेशन करवा दिया है। जानकार सूत्रों के अनुसार यह आंकड़ा 15 लाख तक जाएगा। लाखों श्रमिकों को दूसरे राज्यों से लाना और फिर 14 दिनों तक क्वारंटीन सेंटरों में रखना कोई आसान काम नहीं है। अभी तो सरकार के सामने श्रमिकों को लाने की ही चुनौती है। स्वभाविक है कि इतने बड़े काम के लिए संसाधन ज्यादा चाहिए। इन स्थितियों को देखते हुए ही सीएम गहलोत ने केन्द्र सरकार से विशेष ट्रेनें चलाने की मांग की है। ताकि पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, उडीसा जैसे दूरस्थ राज्यों से श्रमिकों को राजस्थान लाया जा सके। इसमें कोई दो राय नहीं कि यदि लॉकडाउन में फंसे श्रमिक अपने घरों पर आते हैं तो यह अच्छी स्थिति होगी, लेकिन सवाल यह भी है कि लाखों श्रमिक जब राजस्थान आ जाएंगे तो फिर रोजगार कैसे उपलब्ध होगा। अभी तक लाखों श्रमिक दूसरे राज्यों में रोजगार कर रहे थे, लेकिन राजस्थान आ जाने के बाद रोजगार उपलब्ध करवाने की जिम्मेदारी भी राज्य सरकार की ही होगी। देखना होगा कि गहलोत सरकार आने वाली इस चुनौती का मुकाबला किस प्रकार से करती है। 
(साभार:एसपी.मित्तल)