ईश्वर की इबादत योग्य गुरु से ही संभव, पंथ परम्पराओं से नहीं : राष्ट्रसंत डॉ वसंतविजयजी म.सा.



 


कृष्णगिरी वाली मां पद्मावती के नाट्य मंचन ने किया भाव विभोर, विशाल नगर भंडारे का भी हुआ आयोजन


 


उज्जैन। माता-पिता, संत और गुरु के प्रति सदैव सेवा, भक्ति एवं समर्पण भाव होने जरूरी है। ज्ञान जहां से भी सर्वोत्तम मिले ले लेना चाहिए। ज्ञान प्राप्त करने में अथवा सेवाभक्ति में पंथ परंपरा आड़े नहीं आनी चाहिए। यह कहा विश्वविख्यात श्रीकृष्णगिरी पार्श्वपद्मावती शक्तिपीठाधीपति, राष्ट्रसंत, यतिवर्य डॉ वसंतविजयजी महाराज साहेब ने। वे यहां नृसिंह घाट स्थित हरियाणा सेवा आश्रम में बड़ी संख्या में उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि ईश्वर की इबादत योग्य गुरु के माध्यम से ही होगी, पंथ परंपराओं से नहीं। संतश्रीजी ने मन और पानी को पतन की संज्ञा देते हुए कहा कि मन एवं पानी के स्वभाव को जानना-समझना आवश्यक है। संयम पूर्वक मन के स्वभाव को समझने वाला मनुष्य जीवन का सबसे बड़ा विजेता बन सकता है। उन्होंने कहा कि सांसारिक व्यक्ति की किसी भी प्रकार की चिंताएं उसके समीप नकारात्मक तरंगे बढ़ाती है, जो कि उसके दुख का कारण बनती है। दृष्टि एवं सोच को सकारात्मक नजरिए के साथ सुधारने की सीख देते हुए डॉ वसंतविजयजी ने कहा कि अधिकतम समय सोच विचार की वजह से व्यक्ति के शरीर की क्षमता विकसित नहीं हो पाती है, ऐसे में जीवन में शांति, सुख, समृद्धि एवं विकास के लिए अज्ञानता को मिटाकर गलतियों को सुधारना होगा। यह समर्पण भाव एवं त्याग के बिना संभव नहीं है। इस अवसर पर श्रीकृष्णगिरी पार्श्व पद्मावती शक्तिपीठ भक्त मंडल उज्जैन के अध्यक्ष प्रकाश तल्लेरा ने सभी का स्वागत किया। गुरुभक्त शैलेंद्र तल्लेरा ने बताया कि संतश्रीजी की पावन निश्रा में उज्जैन के इतिहास में पहली बार यहां के शिवांजलि गार्डन के भव्य मंच से कृष्णगिरी वाली मां पद्मावती के प्राकट्य, महिमा व भक्ति-आस्था के चमत्कारी प्रसंग का नाट्य मंचन किया गया। बड़ी संख्या में मौजूद श्रद्धालुओं की उपस्थिति में राष्ट्रीय स्तर के ख्यातनाम 28 कलाकारों द्वारा जगरूपसिंह चौहान के निर्देशन में यह मंचन हुआ। वहीं गुरुवार को संतश्रीजी के 51 वें जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में विशाल नगर भोज भंडारे का कार्यक्रम हुआ, जिसके लाभार्थी प्रदीप उमंग उत्सव कोठारी परिवार वाले रहे। तल्लेरा ने बताया कि गुरुदेवश्रीजी का आशीर्वाद लेने पूर्व मंत्री एवं विधायक पारस जैन, देश और दुनिया के विभिन्न शहरों सहित चेन्नई से शांतिलाल चोपड़ा, रमेश धोखा, रमेश बोथरा, गौतम चंद, मुंबई से रमेश भाई, राजकोट से केतनभाई गोशलिया, बेंगलुरु से चंदूलाल गांधी व दीपक शाह तथा गजेंद्र बांठिया, विकी बागरेचा, दिलीप गुप्ता, सुभाष तल्लेरा सहित अनेक गणमान्य जन व बड़ी संख्या में गुरुभक्त मौजूद रहे। सभी का आभार जितेंद्र-अक्षत तल्लेरा ने जताया।





8 माह पूर्व इंदौर में परम पूज्य गुरुदेवश्रीजी डॉ वसंतविजयजी मसा. के चातुर्मास के समय दर्शन-वंदन के लिए गया था। पहली बार के दर्शन में ही गुरुदेवश्रीजी का परमात्म स्वरुप में साक्षात्कार हो गया। 30 वर्ष की मेरी उम्र में जैसे मैंने सब कुछ पा लिया है। ज्वैलर व्यवसायी हूं, मगर गुरुभक्ति ऐसी चढ़ी है कि जीवन भर के लिए गुरुदेव के हो गए हैं। वाकई, खूब गुरुकृपा प्राप्त हो रही है।


-उमंग पी कोठारी, ज्वैलर व्यवसायी-गुरुभक्त, उज्जैन।