"पुराणों में कहीं उल्लेख नहीं शिवपार्वती विवाह का, शिव उपासना का पर्व है महाशिवरात्रि"


भगवान श्रीकृष्ण के गुरु महर्षि संदीपनीजी के वंशज एवं श्रीमहाकाल पंचागकर्ता-ज्योतिषाचार्य पं. व्यास से बातचीत



उज्जैन। महाशिवरात्रि  भगवान शिव की उपासना का महापर्व है। भगवान शिव ने विश्व कल्याण के लिए गरल पान किया था। शिव का परिवार एक आदर्श परिवार है, जो कि एकता का संदेश देता है। यह कहा ज्योतिषाचार्य पंडित आनंदशंकर व्यास ने। भगवान श्रीकृष्ण के गुरु महर्षि संदीपनीजी के वंशज पंडित व्यास ने शिवरात्रि पर्व दिवस विशेष पर एक संक्षिप्त  भेंटवार्ता में बताया कि भगवान शिव परिवार के वाहनों के स्वरूप नंदी, सिंह, सर्प, मूषक व मयूर को प्राकृतिक शत्रु होने के बावजूद परस्पर एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव से शिव कृपा से ही देखा जाता है। उन्होंने कहा यह हम सभी के लिए भी यह प्रेरणा स्पद है। उन्होंने कहा कि शिव उपासना से परिवार, समाज, राज्य एवं राष्ट्र की एकता संभव है। शिव की उपासना को ही सर्वोपरि बताते हुए श्रीमहाकाल पंचांगकर्ता पंडित व्यास ने पौराणिक कथाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि शिव का प्राकट्य दिवस है महाशिवरात्रि। सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा एवं भगवान विष्णु के बीच एक प्रसंग का उल्लेख करते हुए उन्होंने बताया कि इस दौरान दोनों देवों के बीच विशाल रूप में भगवान शिव प्रकट हुए। इस शिव स्वरूप का आदि और अंत ब्रह्मा और विष्णु भी देख नहीं पाए थे। ऐसे में जब ब्रम्हाजी एवं विष्णुजी ने विशाल रूप की बजाय लघु रूप में शिवपूजन की प्रार्थना की, तब भगवान शिव 12 खंडों में 12 ज्योतिर्लिंग के रूप में इस धरा पर स्थापित हुए। तभी से पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव का आज के दिवस विशेष शिवरात्रि पर रात्रि अर्थात मध्य रात्रि में पूजन का विधान बताया गया है न कि शिव विवाह का। उन्होंने बताया कि शिव विवाह का प्रचलन वर्तमान समय के लोगों ने विविध रूपों में प्रारंभ कर दिया है, जिसका शास्त्रों-पुराणों में कहीं भी उल्लेख नहीं है। यही नहीं आजकल कुछ लोग कथित तौर पर रिसेप्सन तक भंडारे के रूप में करने लगे हैं।