आरजेएस मयंकप्रताप सिंह ने नचिकेता गुरुकुल में साझा किए अपने अनुभव


जयपुर। नचिकेता गुरुकुल में अभिभावकों, बच्चों व युथ फाउंडेशन के सदस्यों के मध्य एक बैठक में विशेष आमंत्रित आरजेएस परीक्षा में मात्र 21 वर्ष की उम्र में राजस्थान में प्रथम स्थान प्राप्त मयंकप्रताप सिंह ने अपनी उपलब्धियों, अनुभव-योग्यता व जीवनी के बारे में बताया। उन्होंने सफलता के लिए शॉर्टकट का सहारा न लेकर लक्ष्य को साधक की तरह अटूट विश्वास रखने की प्रेरणा दी। मयंकप्रताप सिंह ने इन चार पंक्तियों से कि "मेरी मंज़िल मेरे करीब है, इसका मुझे एहसास है, गुमान नहीं मुझे इरादों पर अपने, ये मेरी सोच और हौंसलों का विश्वास है" से उपस्थित लोगों की वाहवाही एवं तालियां बटोरी।
युथ फाउंडेशन के अध्यक्ष नरेन्द्र हर्ष ने कहा कि मुसीबतों से भागना, नयी मुसीबतों को निमंत्रण देने के समान है। जीवन में सफलता के लिए समय-समय पर चुनौतियों एंव मुसीबतों का सामना करना पड़ता है, यही जीवन का सत्य है। हर्ष ने भी अपने प्रेरणादायी संबोधन में कहा, एक शांत समुन्द्र में नाविक कभी भी कुशल नहीं बन पाता। फाउंडेशन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष पवन पारीक ने अभिभावकों एवं विधार्थियों की परिचर्चा में गुरुकुल की व्यवस्थाओं से अवगत करवाया। सचिव देवेंद्र धाकड़ व कानूनी सलाहकार अधिवक्ता आनंद शर्मा ने संस्थान के लीगल फॉर्मेट के बारे में विस्तार से जानकारी दी। संस्थान से जुड़े उपाध्यक्ष ओमप्रकाश सेवदा, संगठन मंत्री डॉ जयंतीलाल खंडेलवाल, समन्वयक रामअवतार गुप्ता, लक्ष्मीकांत पारीक, राकेश खंडेलवाल व माधव शर्मा आदि पदाधिकारी उपस्थित रहे एवं परिचर्चा में भाग लिया। आरजेएस मयंक प्रताप का स्वागत-सत्कार भी किया गया।